जन्म से बिना हाथों के पैदा हुई शीतल देवी पांवों की उंगलियों से बुन रही है जिंदगी का ताना बाना।
गरीब परिवार में पैदा हुई शीतल ने अपनी शारीरिक कमी को शिक्षा में बाधा बनने नहीं दिया।
किश्तवाड़ ( मनीषा मनु ) : कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता एक पत्थर तो कभी तबियत से उछालो यारो। शायर ने यह पंक्तियां निसंदेह किसी का मनोबल बढाने के लिए ही कहीं होगी। अगर मन में उत्साह और कुछ करने का जज्बा हो तो इंसान हर मुश्किल हर बाधा पार कर सकता है। बडी से बड़ी चुनौती का सामना करके अपने सपनों को साकार रूप दे सकता है। जिनको हर हाल में अपनी कल्पनाओं को जीवित रूप देना होता है वह अपनी किसी भी शारीरिक कमी या प्रतिकूल परस्तिथियों से भी नहीं घबराते। विश्व भर में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जहां लोगों ने शारीरिक कमियों को दरकिनार करके अपना एक अलग मुकाम और पहचान बनाई है।
ऐसी ही एक विलक्षण शख्सियत है,, किश्तवाड़ के लोईदार में रहने वाली शीतल देवी की — किश्तवाड़ के मुगलमैदान की पंचायत लोईदार के गुणमढ़ की रहने वाली 15 वर्षीय शीतल देवी जन्म से ही दिव्यांग है। बाजू विहीन पैदा हुई शीतल देवी ने कभी भी इस बात पर दिल छोटा नहीं किया कि वो बिना बाजुओं के ही अपने जीवन को केसै समेट पाएगी। जब कुदरत ने हाथों का सहारा नहीं दिया तो शीतल देवी ने नए विकल्प तलाशने शुरू किए और पांवों की उंगलियों से जिंदगी का ताना बाना बुनने का प्रयास शुरू किया। अनवरत कोशिशों और अथक प्रयासों से शीतल देवी को सफलता मिली और हाथ की जगह पांवों की उंगलियों से लिखने और अन्य कामों में महारत हासिल की। इसके बाद स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने में भी कोई दिक्कत नहीं आई और शीतल आम बच्चों की तरह दसवीं कक्षा तक पहुंच गई। शीतल देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मुगलमैदान में दसवीं कक्षा में पढ़ती हैं ।
शीतल पढ़ने में भी बहुत होशियार है और उनकी लिखावट की सफाई और कापियों पर उकेरे शब्दों को देखकर विश्वास करना मुश्किल होगा कि यह लिखावट पैरों की उंगलियों की हो सकती है। शीतल देवी के पिता मानसिंह खेतीबाड़ी का काम करते हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। मानसिंह का कहना है कि उनकी बेटी विलक्षण प्रतिभा की धनी है । एक पिता होने के नाते उनको गर्व की अनुभूति होती है । वो अपनी प्रतिभावान बेटी को बडे स्कूल में पढाना चाहते हैं। लेकिन आर्थिक रूप से तंगी के कारण ऐसा संभव नहीं है। अपने सपनों के बारे में शीतल देवी बताती हैं कि उनका सपना उच्च शिक्षा प्राप्त करने का है।
वह आगे पढ़ना चाहती है और पढकर कुछ बनना चाहती हैं। लेकिन गरीब परिवार की बेटी होने के नाते शायद आगे की पढाई के लिए परिवार खर्चा वहन ना कर सके। इसलिए इस परिवार ने प्रशासन और सरकार से इस प्रतिभाशाली और होनहार बेटी की सहायता करने और प्रोत्साहन देने की गुहार लगाई है।